नूँचकू और सुरक्षा नूँचकू के बीच अंतर
नूनचाको | सेफ्टी नूनचाको |
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१। नूनचाको लोहे या लकड़ी के बीच में धातु या रससी से जुड़ा होता है | १। सेफ्टी नूनचाको फोम या रब्बर से बने छड़ी के बीच रससी या चैन |
२। बहुत भारी होने के कारण लगातार अब्यास करना मुश्किल हो सकता है । अगर करें तो भी हाथ की मुट्टी, कन्धों में दर्द होता है | २। कम वजन होने के कारण प्रैक्टिस में कोई परेशानी नहीं होगी और दर्द भी नहीं होता है |
३। सीखने वालों को छोट पहुँचा सकती है | ३। सेफ्टी नूनचाको से छोट लगने पर भी घाव नहीं होता है |
४। अब्यास करते समय पिछले सर और गुट्नों में दर्द होता है | ४। सेफ्टी नूनचाको वजन कम और रब्बर से बने होने के कारण छोट लगने पर भी ज्यादा दर्द नहीं होता |
५। नूनचाको के लिए कोई सिलेबस नहीं है | ५। सेफ्टी नूनचाको के लिए सिलेबस की तैयारी कर रखा हूँ |
६।नूनचाको के लिए ग्रैड या सर्टिफिकेट सिस्टम नहीं है | ६।सेफ्टी नूनचाको के लिए ग्रैड या सर्टिफिकेट सिस्टम बना के रखा हूँ |
७। नूनचाको अब्यास योग्य नहीं है । इस शस्त्र को अनजाने में किसी भी प्रकार के वजन, नाप या गुणवत्ता के बिना बना देते है | ७। अनुसंधान के द्वारा अब्यास करने वालों के ऊंचाई, उम्र के मुताबे रब्बर से रंग बिरँगें सेफ्टी नूनचाको २० सें।मी।, २५ सें।मी।, ३० सें।मी।, लम्बाई में बनाया गया है ताकि हर किसी को उपयोग करने में कोई दिक्कत नहीं होगी |
८। नूनचाको के कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद छत में या बिस्तर के नीचे फेंक देते है। और कुछ लोग घर में शोकेस में रख देतें है | ८। सेफ्टी नूनचाको अब्यास करने पर और ज्यादा करने की इच्छा होती है । इस कारण इसको मनोरंजन के रूप में, व्यायाम के रूप में, युधःविद्या के रूप में उपयोग होता रहेगा। जब लोग हमें आशचर्य से देखेंगे तब और ज्यादा करने की इच्छा बढ़ेगी। |
९। नूनचाको तकनीकियों का कथा बनाना न मुमखिन है | ९। सेफ्टी नूनचाको के हर एक स्टेप को तकनीक बनाकर, नाम दिलाकर, अलग श्रेणियों , प्रक्रिया में, ७० प्रतिशत सेफ्टी नूनचाको जानने के नाते १५ कथा बनाया है |
१०। आपत्ति के समय धातु से बना नूनचाको का इस्तेमाल करने पर शत्रु को नुक्सान पहुँचा सकती है, यहां तक की जान को भी खतरा हो सकता है और पुलिस केस हो सकता है | १०। आपत्ति के समय, आत्मरक्षा के लिए सेफ्टी नून्चको को जोर से इस्तेमाल करने पर दर्द के कारण शत्रु भागेंगे, उनके जान को कोई खतरा नहीं पहुँचेगा एंड ना ही पुलिस केस बनेगी । |
११। इसके वजन ज्यादा होने के कारण स्त्रियां इसके उपयोग नहीं कर सकते है और न ही हैंडबैग में रख सकते हैं। | ११। इसके वजन कम के कारण स्त्रियां आसानी से इसके उपयोग कर सकते है और अपने हैंडबैग में रख सकते हैं। |
१२। नूनचाको में
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१२। सेफ्टी नूनचाको में अ। बेल्ट प्रक्रिया बनाया गया है - ६ प्रकार के बेल्ट पाने के लिए हर एक बेल्ट में ८ प्रकार के परीक्षा है इन सबी परीक्षाओं मे पास होने पर प्रथम श्रेणी का ब्लॅक बेल्ट पा सकतें है। आ। समय सूचना - प्रति रोज २ घंटे अभ्यास करने पर एक ही साल मे ब्लॅक बेल्ट पा सकते है । इ। लाइसेँसे - सेफ्टी नून्चाकू सीखने की लाइसेँसे वही पा सकते है जिन्होने ब्लॅक बेल्ट अदा की है और सिर्फ़ लाइसेँसे हासिल करने वाले ही सेफ्टी नून्चाकू सीखा सकते है |
१३। नूनचाकू सीखने वाले या सीखाने वाले को कोई प्रमाणपत्र या दस्तावेज नही मिलता है | १३। (अ) जिन लोगो ने ब्लॅक बेल्ट परीक्षा मे पास करके लाइसेंस की परीक्षा मे भी पास हुए, सिर्फ़ उन्ही को मुख्य कार्यालय से "सेफ्टी नूनचाकू ऑफीसर पासपोर्ट" दिया जाता है। और जिनके पास यह पासपोर्ट है, वे ही मान्यता प्राप्त खेल मे भाग ले सकते है। हर बेल्ट और खेल मे पाए जीत, कोच, जड्ज, रेफरी परीक्षा मे पाए जीत, भाग लिए सेमिनार - इन सबके विवरण उस पासपोर्ट मे दर्ज किया जाता है। (आ) प्रशिक्षुओं को भी नूनचाकू वर्ग मे शामिल हो कर, पहली बेल्ट पास होते ही मुख्य कार्यालय से प्रशिक्षक द्वारा सेफ्टी नूनचाकू स्टूडेंट पासपोर्ट दिया जाता है। जिसके पास जीवित सेफ्टी नूनचाकू पासपोर्ट है, वे ही, मान्यता प्राप्त खेल मे भाग ले सकते है। हर बार बेल्ट परीक्षा मे पाए पदको, भाग लिए सेमिनार, बाकी सबी विवरणों को उसमे दर्ज किया जाता है। |
१४। नूनचाकू को खेल की श्रेणी मे नहीं लाया जा सकता है। | १४। सेफ्टी नूनचाकू को खेल की श्रेणी मे लाकर इस मे कथा, टीम कथा, खुमिते, टीम खुमिते, ओन स्टाइल क्रियेटिविटी - जैसे ५ प्रकार के प्रतियोगिताओं के नियम बनाए हैं |
१५। नूनचाकू स्टाइलिश रूप से उपयोग होता है और इससे कोई तकनीकी नही सीखा जा सकता है। | १५। सेफ्टी नूनचाकू मे कई प्रकार के तकनीकी सीखने के कारण आपत्ति मे ज़ोर से प्रयोग कर सकते है। |
प्रस्तावना - सुरक्षा नूँचाकू ग्रैंड मास्टर
मैं पिछले 36 साल से बोलता और लिखता आया हूँ की तमिलनाडु एक " भारत की जापान " जाना जाता है इसका मुख्य कारण यह है की जिस प्रकार जापान कराटे विकास मे भाग लिया है उसी प्रकार तमिलनाडु भी कराटे के विकास इतना ही योगदान दिया है ।
मैं पिछले 36 साल से बोलता और लिखता आया हूँ की तमिलनाडु एक " भारत की जापान " जाना जाता है इसका मुख्य कारण यह है की जिस प्रकार जापान कराटे विकास मे भाग लिया है उसी प्रकार तमिलनाडु भी कराटे के विकास इतना ही योगदान दिया है । मेरी प्रबल इच्छा है की मुझे भारत में इस कला के लिए महत्वपूर्ण योगदान करना है
विशेष रूप से तमिलनाडु मे जहाँ मैं बड़ा हुआ हूँ । २३।०२।२००२ क दिन "करात्ते प्रतियोगिता के नियम" नाम के पुस्तक अँग्रेज़ी मे प्रकाशित किया गया था। इस बात से ह्मे बेहत खुशी है की इस किताब के माद्यम से भारत मे करात्ते सीखनेवाले लाखों लोगों के बीच पुनर्जागरण पैदा हुआ है। कराटे प्रशिक्षण करने वाले हज़ारों छात्रों ने हमारे प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट किए है की इस किताब के कारण वे प्रतियोगिता के नियमों को समझने और बेहतर तरीके से प्रदर्शन करने मे उन्हे सक्षम हुआ है। ह्मे इस बात से दुगुना खुशी है की तमिलनाडु मे करातते कला की स्तर और भी बड़ा है।
इसके अलावा , पुस्तक के प्रत्येक पृष्ट मे फुट नोट के रूप मे, दोनो अँग्रेज़ी और तमिल मे, मेने अपने अनुभव को लिखा है। जिसको पढ़ कर, देश के विभिन्न् भागों से विभिन्न प्रशिक्षको से करात्ते सीखने वाले कई छात्रा फोन द्वारा मुजसे संपर्क करके उनके द्वारा प्राप्त लाभ के साझा की है। मैन अधिक प्रसन्न हूँ की इस पुस्तक को पढ़ने और समझने के द्वारा कई छात्र लाभदायक है। और मैं इसे ही अपने प्रयास का सफलता मानता हूँ। यह सफलता मेरा नही, परंतु करात्ते कला की है।
स किताब को प्रकाशित कर मैने भविष्य की पीढ़ियों के लिए पहला कदम पत्थर खड़ा कर दिया हूँ। वास्तव में, यह पूरे देश में कराटे एक खेल के रूप में तब्दील हो गया है जिस तरह मैं अपने प्रयास , अनुभव और प्रतिभा के माध्यम से उपरोक्त पुस्तक रूप में, भविष्य की पीढ़ी की मदद की है इसी तरह, पहली बार काटा पर संगोष्ठी के माध्यम से , बोर्ड पर लिख कर कराटे की कला को समझने के लिए तमिल और अंग्रेजी में , तकनीकी शब्द जापानी भाषा में इस्तेमाल किया।
सेफ्टी नूँचाकू
अपने प्रस्तावान मे लिखा था की "अगर मई अपने अनुभव द्वारा सीखा इस कला को अपने देश वासियों, ख़ास कर तमिलनाडु के जनता के सामने प्रकक नहीं किया तो अपने आपको देश के प्रति अपने । ना कर पाया - एसे मानूँगा।" इस वाक़या के अनुसार अपने २० साल के शोध के परिणाम को दुनिया के सामने समर्पित करता हूँ। वह है - " सेफ्टी नून्चाकू"।
सेफ्टी नूँचाकू की उत्पत्ति
१९९२ मे अमेरिका के कालीफ़ोर्निया मे कॉब्डो की कला मे अपने लिए एक स्थान प्राप्त किए और अनेक फिल्मों मे स्टंट रोल किए जापानी मार्षल आर्ट के मास्टर फुमीनो दुमेरो के यहाँ रह कर लकड़ी के बनाए नूनचाकू का इस्तेमाल करते हुए हाथ की मुट्ठि मे ज़ोर से छोट लगती है जिसके कारण इस कला को लगातार सीखने की चाह छूट जाती है। इसलिए नूनचाकू की इस्तेमाल हमे छोट नहीं पहूचनी चाहिए और अगर लग भी जाए तो दर्द नहीं होनी चाहिए। यही चाह मुझे "सेफ्टी नूनचाकू" की अनुसंधान की ओर खींच गया।
तब से इस सेफ्टी नूनचाकू की अनुसंधान मे समय बिताना शुरू किए और २८।०८।०५ के दिन चेन्नई मे पहली बार राज्या के मंत्रियों और आम जनता के सामने सेफ्टी नूनचाकू, कथा, खुम्मिते, टीम कथा, टीम खुम्मिते, टारगेट ट्रैनिनिंग (निशाने छूटे बिना मारना) और छात्रों के द्वारा किए गये उनके अपने स्टाइल (ओन स्टाइल क्रियेटिविटी), नई तकनीकियाँ - एसे ५ तरीकों को पेश किया। उस दिन से आज तक सेफ्टी नूनचाकू के कला के अनेक अनुसंधनों को कई देश मे, कई विशेषज्ञों से मिलकर, आपस मे अपने विचारों को बाँटकर इस सेफ्टी नूनचाकू को एक खेल के रूप मे, युध्विध्य के रूप मे, इस कला को समर्पित कर रहा हूँ।
कुछ लोग मुझ से पूछने लगे की जब पहले से कॉब्डो मे नूनचाकू के इस्तेमाल हो रहा है तो आपको अलग से सेफ्टी नूनचाकू को तैयार करने की क्या ज़रूरत है, दोनो मे क्या फ़र्क है? इन लोगों के लिए मैने अपने FAQ मे उनका उत्तर दिया हूँ।
फिर भी, आसानी से समझने के लिए इस उदाहरण के द्वारा समझा रहा हूँ। २० साल पहले, हर म।बी।बी।एस। को डॉक्टर माना जाता था। हर प्रकार के स्वस्थ के समस्याओं के लिए उन्ही के पास जया करते थे। लेखिन आज की स्थिति मे शरीर के हर भाग के लिए एक विशेषज्ञ की ज़रूरत है।
इसी प्रकार भौट के समय इस्तेमाल किए जाने वाले हर प्रकार के शस्त्र को उपयोग करते है। इस तरह के सभी श्स्त्रों को सीख कर मास्टर नहीं बन सकते है। कॉब्डो के सबी श्स्त्रों की जानकारी मात्र रख कर, किसी एक को विशेष रूप से सीखने ही मेरी इच्छा है।
युध्विध्य की ताज
इसलिए सेफ्टी नूनचाकू को विशेष युध्विध्य के रूप के पिछले २३ सालों से अनुसंधान कर रहा हूँ। जिसका नतीजा है सेफ्टी नूनचाकू । इसके हर एक मूव्मेंट के नाम, बेल्ट के मुताबे सिलबस तकनीकीयों को जुडा कर, १५ कथाओ को स्पोर्ट्स बना कर नीतियाँ बनाकर, सेफ्टी नूनचाकू को तमिल, अँग्रेज़ी और हिन्दी मे प्रकाशित करने के कारण मेरे ट्रैनिनिंग के तरीके न सिर्फ़ भारत मे, बल्कि विदेश मे भी एक नई युध्विध्या बन कर देश के नाम को सम्मान दिलाएगा।
सेफ्टी नूँचकू “कटा"
सं २००२ में हमारे द्वारा प्रचलित "करते की नियमो" नाम के पुस्तक में करते कला की उन्नति के लिए जिस किसी ने भी हमारी मदद की, उन लोगों का शुक्रियादा किया था।
लेकिन इस बार जिन लोगों ने सेफ्टी नूनचाकू में मेरी मदद की है, उनकी शुक्रियादा करने के बदले, अपने बनाये गए १५ कथाओं को उनका नाम दिया हूँ ताकि उनको इस कला की दुनिया में नाम औऱ निशान मिलें।
इसके अलावा हमारे स्वतंत्र भारत के त्यागियों को तो हम भूल ही चूके हैं। उन में से एक है त्यागी श्री विस्वनाथ दास जी, जिन्होंने अपने ५४ सालों में २९ बार जेल गएँ है, नाटकों में स्वतंत्र त्यागी के रूप दारन कियें है और अंतिम में चेन्नई में, अपने आकरी नाटक में भगवन मुरुगन के रूप में, मोर पर बैट कर स्वतंत्र गीत गाते हुए अपने अंतिम सांस छोड़े थे - उनके नाम को अपने कथा के लिए दे कर बहुत गर्व महसूस करता हूँ।
कथा एक फार्मूला जैसा है, जिसको जानने पर गणित सुलजाने में कोई कठिनाई नही होती है। उसी प्रकार, कथा की पूरी ज्ञान होने पर, तकनीकियों के नाम जानने पर, कहाँ किस तरीके को अपनाना है - यह आसानी से सेफ्टी नूनचाकू सीखने में काम आती है ।
मेरे हर कोशिशों में मेरे साथ दिए मेरे धर्म पत्नी श्रीमती वासंती जी, और मेरे सेफ्टी नूनचाको अनुसंधान में, मेरे मदद किये मेरे पुत्र श्री सिंहवेल जी और बाकी के मेरे प्रिय मित्रो जिन्होंने मेरे इस अनुसंधान में साथ दिए - इन सब को मेरे हार्दिक धन्यवाद ।
ग्रैंड मास्टर उपलब्धियां
मार्शल आर्ट्स में सुरक्षा नूँचकू ग्रैंड मास्टर सोषिहान एस गोदन्डन की उपलब्धियां
सोषिहान एस गोदन्डन अपने १२ वी साल से जब हाई स्कूल में पढ़ रहे थे तब से आज तक मार्शल आर्ट के क्षेत्र में अनुभव के 45 से अधिक वर्षों से कराटे प्रशिक्षण शुरू कर दिए । उनको शीतो-रयू स्टाइल करने वाले - केन-एई माबुनी, सोहन एईगी ओगसहारा, इशिकवा, फ्यूमियो डेमूरा, शिंतनी, त.यओनेडा, केइजी टोमियामा, केन-ज़ो माबुनी, कोज़ो कुनिबा जैसे ९ ग्रांड मस्टेरॉं से प्रशिक्षन लेने का अध्बूथ मौका मिला. युरोप और एशिया के मस्टेरॉं से भी उन्होने प्रशिक्षण ली है.
एक अद्वितीय और उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ भारत के कोकिनो शीतो- रयू कराटे स्कूल उत्कृष्टता और दुनिया मानक के बराबर पूर्णता के एक उच्च डिग्री के साथ भारत में कराटे प्रशिक्षण देने के एक प्रतिष्ठित संस्था है . यह स्कूल मे, जो केवल 6 छात्रों के साथ वर्ष 1979 में एक बहुत ही मामूली शुरू किया था, अब तक सफलतापूर्वक पूरे भारत में सोषिहान एस गोदन्डन के सक्षम मार्गदर्शन के तहत 55,000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया गया है ।
कोकिनो शीतो रयू के स्कूल न सिर्फ़ भारत में बल्कि विदेश मे भी सफलतापूर्वक चल रहा है । पिछले 23 वर्षों के समर्पित अनुसंधान के परिणाम से 2005 मे सुरक्षा नूँचकू को जनता के लिए प्रस्तुत किया गया था. पूर्ण आत्म कठोर अनुसंधान के बाद पूर्ण दायर संस्करण निहित के साथ वर्तमान में , यह दुनिया में मानवता के लाभ के लिए शुरू किया गया है ।
सोषिहान एस गोदन्डन की उपलब्धियाँ
- 2011 - सबसे पहले भारतीय जिन्होने 8 वीं दान एवं विश्व ग्रैंड मास्टर सोहन कैचीॉ एईगी ओगसहारा 10 वीं दान जापान से " सोषिहान " शीर्षक सम्मानित किया गए.
- सबसे पहले भारतीय एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त हुए जो एशिया में ओगसहारा शीतो -यू कराटे का प्रसार करने , अंतर्राष्ट्रीय कराटे -डो ओगसहारा -हा शीतो - रयू एसोसिएशन के ग्रेड के लिए प्रशिक्षण कर सकते है.
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने 2 विश्व काटा चैंपियंस उत्पादन व 2010 - अर्जेंटीना मे 3 तीसरे विश्व जूनियर कराटे चैंपियनशिप में 1 चाँदी और 2 कांस्य पदक विजेताओं का उत्पादन किए।
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने जूनियर विश्व चॅंपियन्षिप (WUKO) 2010 - अर्जेंटीना विश्व रैंकिंग पदक में देश को 6th स्थिति मे पाहूंचाए
- आट्वी डान ब्लॅक बेल्ट - 2010 पाने वाले पहले भारतीय
- पहले भारतीय (WUKO) एशिया चैरमन - 2009 (प्रशासन)
- पहले भारतीय विश्व चीफ रेफरी - 2009 तक्निकि
- विश्व रेफरी सेमिनार - इटली - 2008 मे भाग लेने के लिए चुने गये पहले भारतीय
- स्पेन 2007 (WUKO) मे पहले भारतीय विश्व पदक विजेता
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने 350 से अधिक राष्ट्रीय पदक जीतने के अलावा 2 एशियाई महाद्वीपीय मुख्य रेफरी , 4 एशियाई महाद्वीपीय रेफरी, 3 एशियाई महाद्वीपीय न्यायाधीशों, 4 ग्रैंड चैंपियंस 54 अंतरराष्ट्रीय पदक के विजेताओं का उत्पादन किए.
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने तमिल और अंग्रेजी दोनों में " कराटे प्रतियोगिता पर एक पूरी किताब ", नामक पुस्तक प्रकाशित किए जिसके द्वारा कोई भी स्वयं जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर टूर्नामेंट का आयोजन कर सकते हैं ।
- प्रथम विश्व प्रतियोगिता -वर्ल्ड कराटे फेडरेशन ( WKF ) - जर्मनी - 2000 और कराटे -डो संगठनों की दुनिया संघ ( WUKO) - स्पेन - 2007 और अर्जेंटीना -2010 मे भाग लेने वाले पहले भारतीय ।
- पहली कराटे प्रतिपादक जिनको तमिलनाडु के क्रमिक मुख्यमंत्रियों द्वारा कराटे के क्षेत्र में कड़ी मेहनत और उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सराहना की।
- 1980 में, श्री M.G. रामचंद्रन, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री , इंडोनेशिया में आयोजित 2 एशियाई शीतो -यू कराटे टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए , कोकिनो भारतीय शीतो -यू कराटे टीम पूरे दिल से सराहना की।
- 1994 में, Ms.J. जयललिता, तमिलनाडु के मुकयमंत्री , कनाडा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लेकर कोकिनो 2 स्वर्ण, 3 रजत और 1 कांस्य पदक जीतने के लिए उनकी प्रशंसा के अलावा, वित्तीय सहायता से भारतीय कोकिनो टीम की मदद की।
- 1999 में, श्री M.करुणानिधि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री , डरबन, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कोकिनो भारतीय टीम के विजेताओं को सम्मानित किया।
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने भारत में पहली बार - 2013 से शीतो - रयू शैली से हर दो महीने में सबसे उन्नत कताओं के लिए " काटा सेवाएँ -सेमिनार " की संचालन की । यह भारत संगोष्ठी में पहली बार तमिल में सिखाया गया है और अंग्रेजी बोर्ड में जापानी तकनीकी नामों और इसका अर्थ लिखा गया था ।
सेफ्टी नूँचाकू
सबसे पहले भारतीय जिन्होने भारत में पहली बार - 2013 से शीतो - रयू शैली से हर दो महीने में सबसे उन्नत कताओं के लिए " काटा सेवाएँ -सेमिनार " की संचालन की । यह भारत संगोष्ठी में पहली बार तमिल में सिखाया गया है और अंग्रेजी बोर्ड में जापानी तकनीकी नामों और इसका अर्थ लिखा गया था ।
सेफ्टी नूँचाकू
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने 2005 मे मूल कटास बनाए और एक खेल के रूप में सुरक्षा नूँचकू को लागू किए
- सबसे पहले भारतीय जिन्होने सुपीरियर (उन्नत) कताओं बनाने के लिए और एक खेल के रूप में सुरक्षा नूँचकू लागू करने के लिए - एक उपयुक्त पाठ्यक्रम और बेल्ट प्रणाली के साथ , सुरक्षा नूँचकू कुमाइट नियमों का संचालन किए.
- पहले भारतीय जिन्होने 2015 मे "सुरक्षा नूँचकू " को मार्शल आर्ट और खेल के रूप में बनाया हैं।
- कई शोध के बाद, सुरक्षा नूँचकू फोम / रबर / हल्के वजन, अलग अलग रंग और अलग अलग आकार का बनाया गया.
- हल्के वजन होने के कारण घायल होने की कम संभावना है इसलिए निरंतर अभ्यास संभव है।
- सुरक्षा नूँचकू में, प्रत्येक आंदोलन फंसाया गया है और एक तकनीक के रूप में नामित किया गया ।
- पहली बार सुरक्षा नूँचकू के लिए पाठ्यक्रम दिया गया है मूवमेंट फंसाया गया, ग्रेड एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जा सकता है।
- 16 कताओं को सुरक्षा नूँचकू के लिए बेल्ट प्रणाली के अनुसार शुरू किया गया है ।
- परीक्षा और बेल्ट देने प्रक्रियाओं बनाई गई है । 7 बेल्ट प्रत्येक बेल्ट परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है.
- केवल काले बेल्ट धारकों ही 'लाइसेंस' प्राप्त कर सकते हैं और उन लाइसेंस धारकों ही सुरक्षा नूँचकू सिखा सकते हैं।
- सुरक्षा नूँचकू के अभ्यास करने वालों को अधिकारियों और छात्रों का पास बुक दिया जा रहा है ।
- सुरक्षा नूँचकू खेल के रूप में बनाया है। काटा में प्रतियोगिता, टीम काटा , कुमाइट टीम कुमाइट और खुद की शैली है।
- सुरक्षा नूँचकू में, प्रत्येक आंदोलन फंसाया गया है और एक तकनीक के रूप में नामित किया गया ।
- पहली बार सुरक्षा नूँचकू के लिए पाठ्यक्रम दिया गया है मूवमेंट फंसाया गया, ग्रेड एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जा सकता है।
- 16 कताओं को सुरक्षा नूँचकू के लिए बेल्ट प्रणाली के अनुसार शुरू किया गया है ।
- परीक्षा और बेल्ट देने प्रक्रियाओं बनाई गई है । 7 बेल्ट प्रत्येक बेल्ट परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है.
- केवल काले बेल्ट धारकों ही 'लाइसेंस' प्राप्त कर सकते हैं और उन लाइसेंस धारकों ही सुरक्षा नूँचकू सिखा सकते हैं।
- सुरक्षा नूँचकू के अभ्यास करने वालों को अधिकारियों और छात्रों का पास बुक दिया जा रहा है ।
- सुरक्षा नूँचकू खेल के रूप में बनाया है। काटा में प्रतियोगिता, टीम काटा , कुमाइट टीम कुमाइट और खुद की शैली है।
उपर्युक्त सभी उपलब्धियां सुरक्षा नूँचकू ग्रैंड मास्टर सोषिहान एस गोदन्डन की , अथक समर्पित और समर्पित प्रयासों, निजी हित के कारण ही संभव थे. एक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अधिकारी होने के पश्चात मार्शल आर्ट में अपने हित की खातिर अपने सरकारी कैरियर बलिदान कर दिया।